Steel Rule
माप(Measurement)
परिचय (Introduction)-कार्यशाला में कार्य करते समय जॉब या कार्य की माप जानना अति आवश्यक है जिससे कारीगर अपनी कार्य कुशलता के अनुसार सही औजारों का प्रयोग करके जॉब को साइज और आकार में बनाते हैं। कम्पोनेंट के साइज को किसी स्टैण्डर्ड यूनिट में निर्धारित करने को मेजरमेंट कहते हैं और कम्पोनेंट की माप लेने वाले टूल्स को मेज़रिंग टूल्स कहते हैं। सिस्टम इंटरनेशनल (S.I) के अनुसार लंबाई की बेस यूनिट मीटर होती है।Steel Rule
- 1 मीटर 1000 मि.मी.
- 1 से.मी. 10 मि.मी.
- 1 मि.मी 1000 मि.मी.
- 1 माइक्रोमीटर 0.001 मि.मी.
Steel Rule
लंबाई की माप की मानक इकाईयां (Standard Units of Linear Measurement)
कार्यशाला में किसी पद्धति में जॉब की माप लेने के लिए एक मानक इकाई (Standard Unit) मान ली जाती है। इस मानक इकाई को आधार मानकर माप ली जाती है। विभिन्न पद्धतियों में माप की इकाइयां अलग-अलग हैं जैसे एफ.पी.एस. पद्धति में लंबाई की माप की मानक इकाई ‘फुट’, सी.जी. एस. पद्धति में ‘सेन्टीमीटर’ और एम.के.एस. पद्धति में ‘मीटर’ है।
मानक मीटर (Standard Metre) – फ्रांस की राजधानी पेरिस में बाट एवं माप के अन्तर्राष्ट्रीय कार्यालय में 0°C तापमान पर प्लेटिनम-इरीडियम की एक छड़ रखी हुई है जिस पर बने दो चिन्हों के बीच की दूरी को मानक मीटर माना गया है।
विभिन्न देशों की राजधानियों में मानक मीटर के प्रारूप रखे हुए हैं। हमारे देश भारत में इसकी एक प्रारूप छड़ राष्ट्रीय भौतिक विज्ञान अनुसंधान शाला (National Physical Laboratory), दिल्ली में रखी हुई है जिस पर बने दो चिन्हों के बीच की दूरी को मानक मीटर माना जाता है।
माप लेने की विधियां (Measuring Methods)
1. प्रत्यक्ष माप द्वारा (By Direct Measurement) – इस विधि में जॉब की मापें प्रत्यक्ष रूप में स्टील रूल, वर्नियर केलिपर, माइक्रोमीटर इत्यादि प्रत्यक्ष मापी उपकरणों के द्वारा मापी जाती हैं। इस विधि में माप लेने के लिये किसी सहायक औजार की आवश्यकता नहीं होती है।
2. अप्रत्यक्ष माप द्वारा (By Indirect Measurement) – इस विधि में जॉब की मापें पहले अप्रत्यक्ष मापी औजार से माप ले ली जाती है और रीडिंग लेने के लिये प्रत्यक्ष माप वाले उपकरण का प्रयोग किया जाता है जैसे आउटसाइड केलिपर या इनसाइड केलिपर का प्रयोग करके स्टील रूल या माइक्रोमीटर से माप की रीडिंग ली जा सकती है।
Steel Rule
स्टील रूल (Steel Rule)
परिचय (Introduction) – स्टील रूल एक प्रकार का औजार है जिसका प्रयोग कार्यशाला में किसी जॉब की मापों की माप लेने या माप को चैक करने के लिये किया जाता है । इस पर इंच और सेंटीमीटर के निशान बने होते हैं। प्रत्येक इंच 1/2, 1/4, 1/8, 1/16, 1/64 बराबर भागों में विभक्त किया रहता है और प्रत्येक सेंटीमीटर को 1 मि.मी., 1/2 मि.मी. में विभक्त किया रहता हैं।
मेटीरियल (Material) – स्टील रूल प्रायः स्प्रिंग स्टील और स्टेनलेस स्टील के बनाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त हाई कार्बन स्टील के भी स्टील रूल पाये जाते हैं।
साइज (Size)-स्टील रूल का साइज इसकी लंबाई और इस पर अंकित इंच या सेंटीमीटर के निशानों के अनुसार लिया जाता है, जैसे 6 इंच, 12 इंच और 15 से.मी., 30 से.मी. आदि।
प्रकार (Types)– कार्यशाला में प्राय: निम्नलिखित प्रकार के स्टील रूल प्रयोग में लाये जाते हैं
स्टैण्डर्ड स्टील रूल (Standard Steel Rule)
यह एक प्रकार का साधारण स्टील रूल है जिसका अधिकतम प्रयोग कार्यशाला में किया जाता है। इस पर इंच और सेंटीमीटर में निशान अंकित रहते हैं। इस स्टील रूल द्वारा कम से कम 1/64″ या 1/2 मि.मी. तक माप ली जा सकती हैं। इसलिए यह स्टील रूल साधारण कार्यों के लिए बहुत ही उपयोगी है। ये प्रायः 6 इंच से 48 इंच और 15 से.मी. से 120 से.मी. तक पाये जाते हैं परन्तु 6 ” से 12″ और 15 से.मी. से 30 से.मी. साइज वाले स्टील रूल का अधिकतम प्रयोग होता है।
फ्लेक्सीबल स्टील रूल (Flexible Steel Rule)
इस प्रकार का स्टील रूल देखने में स्टैण्डर्ड स्टील रूल की तरह होता है। इसको स्प्रिंग स्टील की पतली पत्ती से बनाया जाता है इसलिए इसमें लचकपन अधिक होती है। इसका अधिकतर प्रयोग वक्राकार आकृति (Curved Shape) वाले कार्यों की माप लेने के लिए किया जाता है। ये प्रायः 6″ या 15 से.मी. लंबाई में पाये जाते हैं। परंतु कार्य के अनुसार इससे अधिक लंबाई वाले फ्लेक्सीबल स्टील रूल भी पाये जाते हैं।Steel Rule
नैरो रूल (Narrow Rule)
इस प्रकार के स्टील रूल की चौड़ाई स्टैण्डर्ड स्टील रूल की अपेक्षा कम होती है। इसकी चौड़ाई प्रायः 5 मि.मी. होती है। इसका अधिकतर प्रयोग कम चौड़ी नाली (Groove) या खांचे की मापें लेने के लिए किया जाता है। ये प्रायः 12″ या 30 से.मी. लंबाई तक पाये जाते है।।
हुक रूल (Hook Rule)
इस प्रकार के स्टील रूल के एक सिरे पर हुक लगी होती है इसलिए इसे हुक रूल कहते हैं। हुक के कारण इसके द्वारा किसी भी सुराख या पाइप के अंदर के किनारों से आसानी से माप ली जाती है। इनका प्रयोग इनसाइड केलिपर और डिवाइडर पर साइज को सैट करने के लिए भी किया जाता है। ये प्रायः 12 या 30 से.मी. लंबाई तक पाये जाते हैं।
(a) फ्लेक्सीबल स्टील रूल (Flexible Steel Rule)
(b) हुक रूल (Hook Rule)
जिंक रूल (Shrink Rule)
इस प्रकार का स्टील रूल स्टैण्डर्ड रूल की तरह होता है। अंतर केवल इतना होता है कि इसके इंच वाले निशान स्टैण्डर्ड इंच से कुछ बड़े होते हैं। ये निशान कार्य के अनुसार 1/10″ से 7/16″ तक प्रति फुट बड़े रखे जाते हैं। इस प्रकार के रूल का अधिकतर प्रयोग पैटर्न मेकर के द्वारा किया जाता है। पैटर्न मेकर जो सांचा (Mould) बनाता है उसमें पिघली हुई धातु जब भरी जाती है तो वह लाल गर्म होती है। सांचे में भरने के बाद जब धातु ठंडी होती है तो वह कुछ सिकुड़ जाती है।
इस प्रकार जब पैटर्न कुछ बड़े साइज का बनेगा तो वह सांचे को भी उतने ही बड़े साइज का बनायेगा और धातु का पुर्जा बनने के बाद जब ठंडा होकर सिकुड़ेगा तो लगभग ठीक साइज का बन जायेगा। इस प्रकार के रूल को उसकी लंबाई और प्रिंक एलाउंस के अनुसार निर्दिष्ट किया जाता हैं। जिंक एलाउंस इस रूल के ऊपर छपा रहता है।
की सीट रूल (Key Seat Rule) – इस प्रकार का रूल ऐंगल ऑयरन के आकार का होता है। इसका अधिकतर प्रयोग वक्राकार आकार के कार्यों पर लंबाई में समानान्तर रेखायें खींचने के लिए और किसी शाफ्ट पर चाबीघाट (Keyway) की मार्किंग करने के लिए किया जाता है।
स्टील टेप रूल (Steel Tape Rule) – इस प्रकार का फ्लेक्सीबल रूल है जो कि गोल आकार की डिब्बी में फिट रहता है। ये 6′ या 2 मीटर लंबाई तक पाये जाते हैं । इसका अधिकतर प्रयोग टेढ़ी मेढ़ी सतहों की माप लेने के लिए किया जाता है।
रूल और स्केल में अंतर (Difference between Rule and Scale) – रूल का अधिकार प्रयोग वर्कशाप में किसी जॉब की माप लेने और उसे चैक करने के लिए किया जाता है जबकि स्केल का प्रयोग ड्राइंग और रेखाचित्र बनाने के लिए किया जाता है।
स्टील रूल के उपयोग (Uses of Steel Rule) – स्टील रूल का प्रयोग कार्यशाला में कई कार्यों के लिए किया जाता है जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं:
• स्टील रूल का प्रयोग करके जॉब की एक डेटस ऐज पर ट्राई स्क्वायर लगाकर अन्य डेटम रोज की दूरी को मापा जा सकता है।
(a) डिवाइडर पर माप को ट्रांसफर करने के लिए।
(b) आडलेग केलिपर पर माप ट्रांसफर करने के लिए।
(c) आउटसाइड केलिपर पर माप को ट्रांसफर करने के लिए
(d) इनसाइड केलिपर पर माप को ट्रांसफर करने के लिए।
Steel Rule
सावधानियां (Precautions)
1. स्टील रूल को कभी कटिंग टूल्स के साथ मिलाकर नहीं रखना चाहिए।
2. स्टील रूल को कभी पेंचकस की तरह प्रयोग नहीं करना चाहिए।
3. कार्य में लाने के बाद इसे अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए।
4. स्टील रूल को समय-समय पर हल्का तेल लगाते रहना चाहिए।
ट्राई स्क्वायर (Try Square)

परिचय (Introduction) – ट्राई स्क्वायर एक प्रकार का चैकिंग व मार्किंग टूल है जिसका मुख्य कार्य किसी जॉब को 90° के कोण में चैक करने के लिये किया जाता है। इसके ब्लेड के द्वारा किसी जॉब की समतलता (Flatness) को भी चैक किया जा सकता है। इसका प्रयोग मार्किंग करते समय 90° के कोण में रेखायें खीचने के लिये भी किया जाता है। इसकी बनावट में एक ब्लेड (Blade) होता है और दूसरा स्टॉक (Stock) जिनको आपस में 90° के कोण में रिट करके जोड़ दिया जाता है। कुछ ट्राई स्क्वायरों के ब्लेडों पर इंचों व मि.मी. में निशान बने होते हैं।
मेटीरियल (Material) – ट्राई स्क्वायर का ब्लेड हाई कार्बन स्टील से बनाकर हार्ड व टेम्पर का दिया जाता है और इसका स्टॉक कास्ट ऑयरन, स्टील या एल्युमीनियम इत्यादि से बनाया जाता है।
साइज (Size) – ट्राई स्क्वायर का साइज उसके ब्लेड की लंबाई से लिया जाता है। यह लंबाई स्टॉक के अन्दरूनी सिरे से ब्लेड के अंतिम छोर तक की दूरी होती है। साइज के अनुसार ये 100 मि.मि. से 300 मि.मी. तक पाये जाते हैं।
प्रकार (Types) – कार्य के अनुसार निम्नलिखित ट्राई स्क्वायर प्रायः प्रयोग में लाये जाते हैं
1. फिक्स्ड ट्राई स्क्वायर (Fixed Try Square) – इस प्रकार के ट्राई स्क्वायर में ब्लेड को स्टॉक के साथ 90° के कोण में रिवॅट के द्वारा जोड़ दिया जाता है जिससे ब्लेड इसके स्टॉक के साथ ही एक स्थान पर स्थित रहता है। इस प्रकार का ट्राई स्क्वायर प्रायः साधारण कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
2. एडजस्टेबल ट्राई स्क्वायर (Adjustable Try Square) – इस प्रकार के ट्राई स्क्वायर में ब्लेड को स्टॉक के साथ रिवेंट के द्वारा नहीं जोड़ते बल्कि इसके स्टॉक के ऊपरी सिरे पर एक खांचा (Slot) कटा होता है जिसमें एक पिन फिट रहती है और पिन को एक नलिंग किये हुए नट के द्वारा समायोजित (Adjust) किया जा सकता है। इसके ब्लेड के बीच में पूरी लंबाई तक एक आयताकार आकार की नाली कटी होती है। इस प्रकार जब ब्लेड को स्टॉक के खांचे में डाला जाता है तब पिन का बढ़ा हुआ भाग ब्लेड की नाली में फंस जाता है और जब नट को घुमाया जाता है तो वह ब्लेड को स्टॉक के साथ सही स्थान पर टाइट कर देता है। इस प्रकार के ट्राई स्क्वायर का प्रयोग वहां पर किया जाता है जहां पर फिक्सड ट्राई स्क्वायर का प्रयोग नहीं किया जा सकता अर्थात जहां पर चैक करने वाली भुजा छोटी हो।
ट्राई स्क्वायर की शुद्धता जांचना (Checking Try Square for Accuracy) – ट्राई स्क्वायर की शुद्धता की जांच प्राय: निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है measurement and measuring instruments
1. ट्राई स्क्वायर की शुद्धता को मास्टर ट्राई स्क्वायर के द्वारा चैक किया जा सकता है क्योंकि मास्टर ट्राई स्क्वायर का ब्लेड और स्टॉक आपस में बहुत ही शुद्धता में 90° के कोण में जुड़े रहते हैं यह तरीका प्रायः वहां पर प्रयोग में पाया जाता है जहां पर ट्राई स्क्वायर में अधिक शुद्धता की आवश्यकता होती है।
2. ट्राई स्क्वायर की शुद्धता को दूसरे तरीके से भी चैक किया जा सकता है जिसमें ट्राई स्क्वायर को सरफेस प्लेट के एक किसी सीधे किनारे वाले सिरे के साथ सटाकर लगाकर सरफेस प्लेट पर ब्लेड के साथ उसकी सीध में एक रेखा खींच लेनी चाहिये, फिर ट्राई स्क्वायर को पलटकर विपरित स्थिति में ट्राई स्क्वायर को रख कर पहली खींची हुई रेखा के साथ ब्लेड की सीध में दूसरी रेखा खींच देनी चाहिये) इसके पश्चात् ट्राई स्क्वायर को हटा कर चैक कर लेना चाहिये कि खींची हुई दोनों रेखायें एक दूसरे के समानान्तर हैं कि नहीं। यदि दोनों रेखायें समानान्तर होंगी तो समझ लेना चाहिए कि ट्राई स्क्वायर शुद्ध है। यदि दोनों रेखाएं समानान्तर नहीं है तो ट्राई स्क्वायर गलत होगा अतः उसका प्रयोग नहीं करना चाहिये।
स्क्वायर के उपयोग (Uses of Try Square) – ट्राई स्क्वायर का प्रयोग प्रायः निम्नलिखित के लिए किया जाता है:
(a) फाइल या मशीन की हुई सरफेसों की फ्लैटनैस चैक करने के लिए।
(b) .वर्कपीस के ऐज से 90° पर लाइनों की मार्किग करने के लिए।
(c) मशीन वाइस या किसी वर्क होल्डिंग डिवाइस में वर्कपीस को 90° पर सेट करने के लिए।
(d) स्टील रूल की सहायता से परिशुद्ध माप लेने के लिए।
स्ट्रेट ऐज (Straight Edge)
स्ट्रेट ऐज हाई कार्बन स्टील से बनाए जाते हैं। इसके दोनों सिरे लेवल में और समानान्तर फिनिश किए जाते हैं। जिनमें से एक सिरा प्रायः बैवल किया होता हैं। जैसा कि चित्र 2.12 में दिखाया गया है ‘A’ साधारण कार्यों वाला स्ट्रेट ऐज है, ‘B’ टूल मेकर्स स्ट्रेट ऐज और ‘C’ कास्ट आयरन स्ट्रेट ऐज है।
स्ट्रेट ऐज का प्रयोग किसी वर्कपीस के ऐज की स्ट्रेटनैस चैक करने और सरफेस की (Uniformity) चैक करने के लिए किया जाता है।
सावधानियां (Precautions)
1. ट्राई स्क्वायर को दूसरे कटिंग टूल्स के साथ मिला कर नहीं रखना चाहिये।
2. कार्य करने से पहले व पश्चात् इसको अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिये।
3. इसको गिरने से बचाना चाहिये।
4. इसको कभी भी हथौड़ी की तरह प्रयोग में नहीं लाना चाहिये।
5. इसके ब्लेड को पेंचकस की तरह प्रयोग में नहीं लाना चाहिये।
6. ‘ट्राई स्क्वायर का प्रयोग करते समय इसके ब्लेड को जॉब की सतह पर रगड़ना नहीं चाहिये बल्कि उठा-उठा कर चैकिंग करनी चाहिये। will have
7. जब ट्राई स्क्वायर का प्रयोग न किया जा रहा हो तो इस पर हल्के ग्रेड तेल लगा कर इसके निजी स्थान पर रखना चाहिये
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माप एवं माप लेने वाले औजारों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण संकेत (Some Important Hints Related to Measurement and Measuring Tools)
1. मीट्रिक पद्धति में स्टील रूल की लीस्ट काउंट 1/2 मि. मी. तथा ब्रिटिश पद्धति में 1/64″ होती है।
2. ‘की’ सीट रूल का प्रयोग किसी शाफ्ट पर चाबीघाट (Key-way) की मार्किंग के लिए किया जाता है।
3. श्रिंक रूल का प्रयोग मोल्डिंग शॉप में किया जाता हैं।
4. स्टील रूल एक प्रत्यक्षमापी औजार है तथा आउटसाइड केलिपर एक अप्रत्यक्षमापी औजार है।
5. गहरे सुराख तथा स्लॉट की माप लेने के लिए नेरो रूल का प्रयोग करते हैं।
6.ट्राई स्क्वायर का साइज स्टॉक के अंदरूनी सिरे से ब्लेड के अंतिम सिरे तक लिया जाता है।
7. स्टैण्डर्ड मापों को 20°C पर लेना चाहिए।
8. एक अच्छे मेजरिंग टूल में निम्नलिखित गुण होने चााहिएं।
(i) इसकी ग्रेजुएशन यूनिफार्म और परिशुद्ध होनी चाहिए।
(ii) इसे आसानी से पढ़ा जा सके व प्रयोग में लाया जा सके।
(iii) इस पर जगं बगैरा नहीं लगना चाहिए।
9.ट्राई स्क्वायर के स्टॉक पर बर्र स्लॉट बना होता है जिसमें जॉब के ऐज की बर्र को स्थान मिल जाता है।
10. किसी-2 जैनी केलिपर की टांग पर एक विशेष आकार की हील बनी होती है जिससे जॉब के आउटर ऐज के साथ-2 समानान्तर लाइनें आसानी से खींची जा सकती हैं।
11. स्प्रिंग ज्वाइंट केलिपर को शीध्रता से परिशुद्धता में सेट किया जा सकता है क्योंकि इसकी दोनों टांगों की एक पिवट और चपटे स्प्रिंग के द्वारा असेम्बल किया जाता है।
12. ट्राई स्क्वायर द्वारा चैक की गई परिशुद्धता प्रति 10 मि.मी. लंबाई पर 0.002 मि.मी. होती है जो कि अधिकतर वर्कशापकार्यों के लिए पर्याप्त होती है।
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